V.S Awasthi

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हिन्दू संस्कृति





प्रतियोगिता हेतु रचना 
हिन्दू संस्कृति 
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हम हिन्दुस्तान में रहते हैं पर हिन्दी हम बोल नहीं पाते। 
जब बात किसी से करते हैं हिन्दी बोलने में शरमाते ।।
अम्मा, बप्पा को भूल गए मम्मा,डैडा, हैं कहलाते ।
अपने नन्हें मुन्नों बच्चों को कान्वेंट स्कूल में पढ़वाते।।
जन्म दिवस को भुला दिया हैप्पी बर्थ-डे मनवाते हैं।
गुलगुले,कढ़ी सब भूल गए बस केक काट खिलवाते हैं।।
जन्म दिवस पर कलश के ऊपर लक्ष्मी का दिया जलाते थे।
दूध में काले तिलों को डाल अम्मा के हाथों पी जाते थे।।
अब बर्थ डे में मोम बुझा कर तब फिर केक कटाते हैं।
हैप्पी बर्थडे टू यू कह कर खुब जोर -जोर चिल्लाते हैं ।।
तब बच्चों में प्यार बहुत था सब एक साथ मिल रहते थे।
एक साथ मिल खाना खाते मां,बाप की सेवा करते थे।।
हमने अंग्रेजी संस्कृति सीखी परिवार को अपने बांट दिया।
अलग हो गए परिवारी जन रिश्तों को हमने छांट दिया।।
अंग्रेजी संस्कृति कहती है बांटों और फिर राज करो।
वही संस्कृति बच्चों ने सीखी मम्मा ,डैडा को दूर करो।।
अब हम क्यों पश्चाताप करें ये बीज हमीं ने बोया है।
अंग्रेजी संस्कृति सिखलाई बच्चों को अपने खोया है।।
बच्चों का‌ कोई दोष नहीं जो पाया है वो सीखा है।
अंग्रेजी बीज जो बोया था वो खाने में कितना तीखा है।।
आधे से ज्यादा परिवारों में मां,बाप अकेले रहते हैं।
कुछ तो हैं घरों में पड़े हुए कुछ वृद्धाश्रम में रहते हैं।।
छोड़ो सभी विदेशी संस्कृति अपनी संस्कृति का मान करो।
अंग्रेजी संस्कृति से दूर रहो हिन्दू संस्कृति का सम्मान‌‌ करो।।



स्वरचित:- विद्या शंकर अवस्थी पथिक


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4 Comments

बेहतरीन भाव और सोचने के लिए विबस करती हुई कविता

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Shnaya

12-Dec-2023 10:48 PM

Nice

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Gunjan Kamal

08-Dec-2023 07:56 PM

👌👏

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